अकबर की मनपसंद सब्जी – Akbar and Birbal ki kahani | Akbar ki Manpasand Sabji
Akbar and Birbal ki kahani: एक समय की बात है जब राजा और उनके मंत्री का राज्यसभा में बैठे हुए थे उस दिन राजा बीरबल उस सभा में नहीं थे क्योंकि वह किसी रिश्तेदार की शादी में गए हुए थे अकबर के दरबार में बीरबल के ना होने के कारण राजा अकबर खुश नहीं दिखाई दे रहे थे।
उस समय राजा अकबर को बहुत ही ज्यादा व्यस्त नजर आ रहे थे बीरबल के दरबार में ना होने के कारण राजा अकबर कुछ नहीं दिखाई देने के कारण दरबार के मंत्री राजा अकबर को खुश करने के लिए कुछ कलाकृति पेश करते हैं। उनमें से एक मंत्री ने अपनी कला को दिखाने के लिए राजा अकबर को बोलते हैं कि महाराज मैंने कुछ समय पहले एक कला सीखी है जिससे मुझे आपको कलाकृति दिखाने का मौका दें।
राजा अकबर बोलता है ठीक है उसके बाद उस मंत्री ने एक बाॅल को अपनी उंगली पर घुमाना शुरू करते हैं परंतु उसके बाद भी राजा खुश नहीं दिखाई दे दी ये वह उसी बात को सोच रहे थे कि बीरबल वापस दरबार में कब आएगा। फिर से राजा को उदास देखकर दूसरे मंत्री ने कविता के बारे में चर्चा की उसके साथी एक से दूसरे व्यक्ति ने अपनी कलाओं का प्रदर्शन किया लेकिन फिर भी राजा खुश नहीं दिखाई दे रहे थे राजा अकबर बोलते हैं कि क्या तुम में से कोई भी मुझे हंसा नहीं सकते हो।
तब ही एक मंत्री ने बोला कि महाराज मेरे पास एक कविता है जिसके माध्यम से आप काफी जोर जोर से हंसने लगेगें उसके बाद वह मंत्री हक लाता हुआ कविता कहने लगता है कुछ देर बाद राजा अकबर उस मंत्री को बोलता है कि आपकी कविता सुनने के लिए तो मुझे बरसों तक इंतजार करना पड़ेगा कुछ समय बाद ही राजा बीरबल दरबार में आते हैं।
राजा बीरबल आते ही राजा अकबर खा कर खुश हो जाते हैं और बीरबल से अपने हाल चाल के बारे में पूछने लगते हैं राजा अकबर ने बीरबल से पूछते हैं कि आप शादी में गए थे वहां कैसा रहा बीरबल बोलते हैं कि महाराज शादी एकदम अच्छी हुई है और राजा अकबर बोलते हैं कि शादी में क्या क्या था तभी राजा बीरबल बोलते हैं कि शादी में हाथी घोड़े अच्छे-अच्छे पकवान थे जिसको खाने में मजा आ गया तब राजा अकबर बोलते हैं कि इसके अलावा और क्या था तब राजा बीरबल बोलते हैं कि वहां पर काफी अच्छी अच्छी सब्जियां थी इतना सुनने के बाद राजा अकबर ने बीरबल को इनाम के रूप में कुछ स्वर्ण मुद्राएं दी।
उसके बाद राज दरबार का समय समाप्त हुआ। दरबार के बीरबल के अलावा सभी मंत्री एक जगह होकर राजा अकबर को खुश करने के लिए योजना बनाते हैं उन्होंने वह सोचते हैं कि राजा अकबर को सब्जियां काफी ज्यादा पसंद है हम राजा अकबर के लिए अच्छी से अच्छी सब्जी बनाकर उनके सामने पेश करेंगे जिससे राजा काफी खुश होकर हमें भी इनाम देंगे।
उसके बाद सभी साईं मंत्री राज हलवाई के पास चले जाते हैं और बोलते हैं कि आपको ऐसी सब्जी बनानी है जो आज तक किसी ने खाई नहीं होगी और ना ही किसी ने देखी होगी राज हलवाई बोलता है कि क्या कोई ऐसी खास बात है तभी राज मंत्री बोलते हैं कि आपको अपने काम से काम रखो कल आकर हम सब्जी ले जाएंगे।
मनपसंद सब्जी: Akbar and Birbal ki kahani
राज हलवाई ने कहा ठीक है दूसरे दिन राज दरबार में जब सभा लग रही थी। उस समय एक सैनिक द्वारा उस सब्जी को राज दरबार में अकबर के सामने पेश किया तब राजा अकबर बोलते हैं कि यह मेरे सामने क्या पेश कर रहे हो तब राज मंत्री बोलते हैं कि महाराज हम सभी को पता है कि आपको सब्जियां कितनी पसंद है ।
इसलिए हम आपके लिए आपके मन पसंदीदा सब्जी लेकर आए हैं। तब राजा अकबर बोलते हैं कि आपको किसने बोला कि मेरे को सब्जियां पसंद है तब एक राज मंत्री बोलता है कि महाराज कल आपने राजा बीरबल के मुंह से सब्जी का नाम सुनने के बाद राजा बीरबल को इनाम के रूप में स्वर्ण मुद्राएं दी थी इसी को ध्यान में रखकर हम आपके लिए आपके मनपसंद सब्जी बना कर लाए हैं ताकि आप खुश हो सके।
तब राजा अकबर बोलते हैं की हमारे सब्जियों का मतलब कुछ और था उस का मतलब सब्जियां नहीं तुम सभी मूर्ख हो इसलिए बात को समझ नहीं पाए। इसलिए इस सब्जी को दंड के रूप में आप सभी को खत्म करनी होगी वह भी आज के दिन में यह तुम सभी मंत्रियों का दंड है इस प्रकार से राजा की मन पसंदीदा सब्जी बनाई गई
शिक्षा: किसी भी काम को करने से पहले उस के बारे मे अच्छे से जान ले।
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