दो भाइयों में गाय का बंटवारा हिंदी कहानियाँ । Gay ka Batwara
Gay Ka Batwara: प्राचीन समय की बात है एक लखीमपुर गांव था उस गांव में एक परिवार रहता था जिस परिवार में दो भाई रहते थे एक का नाम श्याम तथा दूसरे का नाम राम था उनकी दोनों की शादी हो चुकी थी उनके पिताजी बीमार रहते थे कुछ समय बाद उसके पिताजी की मृत्यु हो जाती है उसके बाद उनकी पत्नियों में चंदा और चमेली दोनों भाइयों की पत्नियों में आपस में बनती नहीं थी।
वह एक दूसरे को चाहती नहीं थी जिससे घर में झगड़े रहने लगे । उस परिवार में एक गाय भी रहा करती थी जिसका नाम जमुना था वह गाय काफी हष्ट पुष्ट और अच्छी दूध देने वाली थी 1 दिन चंदा छोटे भाई की पत्नी से चमेली से बोलती है कि तुम ने जमुना को खाना खिलाया नहीं इतने समय तक क्या कर रही थी
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कुछ काम तो करते नहीं “काम ना काज के दुश्मन अनाज” की उसके बाद चमेली बोलने लगी अपनी जबान संभाल कर बात करो उसके बाद चंदा बोलती है कि मैं तुमसे बड़ी हूं मेरे मन में होगा वही मैं बोलूंगी उसके बाद दोनों में झगड़ा हो जाता है उसी के उसी समय दोनों भाई खेत से वापस घर पर आ जाते हैं और देखते हैं कि दोनों औरतों में हाथापाई हो रही थी।
इतने देखने पर राम और श्याम बाहर आकर एक विचार करते हैं राम बोलता है कि भाई हमें कुछ ऐसा करना पड़ेगा जिससे इन दोनों के बीच झगड़ा ना हो सके तब श्याम बोलता है कि भैया ऐसा कोई कौन सा तरीका है जिससे इन दोनों में झगड़ा ना हो सके उसके बाद राम बोलता है
कि एक ही तरीका है बटवारा राम शाम को समझाने के बाद श्याम बंटवारे के लिए तैयार हो जाता है राम गांव के सरपंच और गांव वालों को लेकर अपने घर आता है और राम और श्याम तथा उनकी पत्नियों के साथ उस घर का बंटवारा कर दिया जाता है।
उस घर में उनके पुराने उनके पिताजी कि पुरानी निशानी गाय जमुना एक ही थी और भाई दो सरपंच गांव का सरपंच बोलता है कि गाय एक और भाई दो है इसका बटवारा कैसे किया जाए तब राम बोलता है कि एक महीना गाय में रख लेता हूं और एक महीने बाद श्याम गाय रख लेगा ऐसे करके एक 1 महीने करके गाय का बटवारा कर दीजिए उसके बाद सरपंच सरपंच ने वैसे ही किया जैसा राम ने बताया था।
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राम बड़ा भाई होने के नाते पहले गाय को अपने पास रख लेता है उस गाय को प्रतिदिन नहलाता है उसकी अच्छे से ध्यान रखता है खाना खिलाना सफाई और सभी चीज से उस जमुना का अच्छे से ख्याल रखता है जमुना दूध देने में काफी अच्छी थी गांव वालों को जमुना का दूध काफी अच्छा लगता था राम जमुना के दूध को गांव में बेचकर आता और उस दूध से मिठाइयां भी बनाता जो गांव वालों को काफी ज्यादा अच्छी लगती थी।
कुछ समय भी जाते हैं दूसरी तरफ श्याम की पत्नी चमेली उसके बड़े भाई राम और चंदा से जलने लगती है और शाम को बोलते हैं कि देखा आपने वह दोनों कैसे पैसों में खेल रहे हैं उस गाय जमुना की वजह से तब श्याम बोलता है
कि फिर अगले महीने वह गाय हमारे पास होगी हम भी उसी प्रकार पैसों में खेलने लगेंगे कुछ दिन बीत जाने के बाद राम का समय समाप्त हो जाता है और श्याम और उसकी पत्नी चंदा राम के घर गाय लेने के लिए चले जाते हैं श्याम उस गाय को अपने घर ले आता है
उसके बाद उसे घर के बाहर खुटे से बांध देता है उसे किसी प्रकार का चारा या खाने को नहीं देता जब जमुना भोजन के लिए रंभाती है तो श्याम जमुना को घास डालने चला जाता है तभी उसकी पत्नी चमेली उस जमुना को घास डालने के लिए मना कर देती है फिर श्याम बोलता है तेरी इस जमुना से क्या दुश्मनी है।
तब चमेली बोलती है मेरी दुश्मनी जमुना से नहीं तुम्हारे भाई और भाभी से दुश्मनी है मैं इस गाय की हालत इस तरह कर दूंगी जो पहले की तरह दूध नहीं देगी और ना ही तुम्हारा भाई पैसे कमा सकेगा उसके बाद श्याम से घांस का बंडल लेकर अंदर चले जाती है जमुना भुख प्यार से काफी बीमार होने लगती है इसके आसपास काफी ज्यादा गंदगी रहती है जिससे वह बीमार हो जाती है।
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गाय का बंटवारा : Gay ka Batwara hindi kahani
उसकी हालत काफी खराब होने लगती है इस तरह से एक महीने बाद वापस राम और उसकी पत्नी चंदा उस गाय जमुना को लेने आते हैं उस जमुना की हालत बहुत ही खराब हो चुकी थी वह ठीक तरह से चल भी नहीं पाते थे राम उस जमुना को अपने घर ले जाता है और अच्छे से नहीं लाता है उसे खाना खिलाता है
कुछ दिन बाद भी वह गाय ठीक नहीं हो पाती है तब राम डॉक्टर को बुलाता है डॉक्टर गाय को देखकर बोलता है कि इसे सही समय पर खाना न मिलने की वजह से काफी ज्यादा बीमार हो गई है मैं कुछ दवाई दे देता हूं जिसकी मदद वापस ठीक हो जाएगी।
उसके बाद कुछ दिन बाद भी गाय पहले तरह पहले जैसी स्वस्थ नहीं हो सकी वह दूध देना भी बहुत बंद कर देती थी वह कुछ काम की नहीं थी 1 दिन राम के दिमाग में एक ख्याल आया वह उस गाय को खूंटे से खोलकर बाहर लेकर जा रहा था रास्ते में वह ठीक तरह से नहीं चल पा रही थी तो राम उसे डंडे से मारने लगा तभी गांव का सरपंच उसे देख लेता है और बोलता है कि तू इस जमुना को क्यों मार रहे हो यह तो पहले से ही मरी हुई जैसी हो रही है।
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इसके बाद राम बोलता है कि अभी यह कुछ काम के नहीं है इसे मैं बेचने जा रहा हूं। गांव का सरपंच बोलता है कि कहां बेचने जा रहे हैं इससे तब राम बोलता है कि कसाई को, इतना बोलने के बाद सरपंच जोर से चिल्लाता है और वह बोलता है कि तुम तुम्हारी यह पिताजी की पुरानी आखिरी निशानी है और कसाई को देने जा रहे हो ऐसा क्यों मार रहे हो तब राम बोलता है कि मैं अभी तक भूला नहीं हूं की है मेरी पिताजी की आख़री निशानी है।
लेकिन मेरा छोटा भाई यह सब भूल चुका है कि है पिताजी की आखरी निशानी है इसलिए वह 1 महीने अपने पास रखकर इसे खाना सही समय पर ना देखकर बहुत ही ज्यादा बीमार कर दिया है जिससे वह ठीक तरह से चल भी नहीं पाती है उसके बाद गांव का सरपंच बोलता है कि आप का बंटवारा और इस गाय का बंटवारा भी मैंने किया है और आज इस समस्या का समाधान भी करूंगा।
उसके बाद कुछ गांव वालों के साथ सरपंच उन दोनों के घर चले जाता है राम और श्याम और साथ ही उन दोनों की पत्नियों को देखकर बोलता है कि राम तुम बताओ की गाय को कसाई के हाथों मरवाना क्यों चाहते हो तब राम बोलता है कि यह जमुना अगले महीने फिर मेरे छोटे भाई श्याम के पास चली जाएगी और उसकी दशा अभी हुई थी
उससे ज्यादा खराब हो जाएगी जिससे वह रोज धीरे-धीरे करके बीमारी से तड़पती हुई मरेगी उसके बदले कसाई के हाथों एक झटके में खत्म हो जाएगी।
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उसके बाद राम रोने लगता है जैसे ही इस नजारे को देखकर उसका छोटा भाई श्याम अपने बड़े भाई राम के पास आकर बोलता है कि भैया मुझे माफ कर दो मेरे से बहुत बड़ी गलती हो गई मैं अपने पिताजी की आखिरी निशानी जमुना को काफी कष्ट दिया है इसके लिए मैं आपसे माफी मांगता हूं आज से इस गाय का कोई बंटवारा नहीं होगा
यह हम दोनों के पास ही रहेगी और गाय ही क्यों यह घर में भी कोई बंटवारा नहीं होगा आज से हम साथ ही रहेंगे यदि कोई हमारे साथ रहना चाहता है तो ठीक है नहीं रहना चाहता है तो वह जा सकता है।
ऐसा कहकर श्याम अपनी पत्नी की ओर देखता है उसकी पत्नी चुप हो जाती है वह समझ जाती है कि अब हमारी चलने वाली नहीं है उसके बाद राम और श्याम गले मिलते हैं और अपने घर में बनी हुई बंटवारे की दीवार को गिरा देते हैं और साथ-साथ रहते हैं इसके बाद उनकी पत्नियों में भी काफी समझ जाती है और सोचती है
कि यदि हम इस प्रकार के झगड़े करेंगे तो शायद ही यह हम दोनों को हम इस घर में रहने नहीं देंगे उसके बाद दोनों भाइयों की पत्नियों में भी बड़ा प्रेम भाव होने लगा और वह परिवार काफी खुश रहकर अपनी जिंदगी जीने लगे।
शिक्षा: किसी दूसरे की दुश्मनी तीसरे पर न निकले , जैसे छोटे भाई ने गाय पर निकला |
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