जादुई कुआं की कहानी – अकबर बीरबल की कहानी। jadui kua kahani
जादुई कुआं की कहानी: एक समय की बात है जब राजा अकबर अपने बीरबल के साथ सभी मंत्रियों के साथ संगीतकार में बैठकर तानसेन के संगीत का मजा ले रहे थे । उनको तानसेन द्वारा गाए जाने वाले गाने को काफी आनंद लेते हुए सुन रहे थे उनको संगीत काफी ज्यादा पसंद आने लगा संगीत खत्म होने के बाद राजा अकबर बोलते हैं कि बहुत खूब तानसेन आपने काफी अच्छा संगीत गया है आप से बढ़कर और कोई नहीं जा गा सकता। हिंदी कहानिया
तभी तानसेन जी बोलते हैं कि हम से भी बढ़कर बहुत है अकबर ने इस बात को नजरअंदाज किए हुए आगे चलते हैं तभी राजा बीरबल अकबर और तानसेन तीनों एक साथ निकलते हैं। उस समय राजा बीरबल उदास दिखाई देते हैं तभी अकबर बीरबल से पूछते हैं कि आप इतने उदास क्यों दिख रहे हो क्या किसी बात की कोई परेशानी है तभी राजा बीरबल ने बोलते हैं कि तानसेन जी ने स्वयं ही कहा है कि मेरे से बढ़कर और है इसका मतलब तानसेन से बढ़कर भी कोई अच्छा संगीत गा सकता है।
तब ही राजा अकबर कि एक कुए पर नजर जाती है उसके पास जाकर उसने अपने एक हाथ की अंगूठी को उस कुएं में डाल देता है जो कुंआ काफी सुखा पढ़ा हुआ था उसमें किसी प्रकार का पानी नहीं था दूसरी तरफ राजा ने बीरबल को सवाल किया कि आप यह अंगूठी बिना कुए के अंदर जाए बगैर और बिना किसी हथियार के कुएं से बाहर निकाल ली है।
- अकबर और बीरबल की सबसे अच्छी कहानी कौन सी है?
अकबर और बीरबल की सबसे अच्छी कहानी बीरबल की खिचड़ी को माना जाता है जो लोगो की काफी पसंद भी आती है।
और दूसरा तानसेन से अच्छा संगीत गाने वाला के बारे में पता लगाना है यह दो चुनौतियों आपके सामने है इसका पता लगाना आपको जरूरी है एक महीने बाद इन दोनों चुनौतियों का जवाब होना चाहिए ।
किस बात को लेकर राजा बीरबल ने इन दोनों चुनौतियों का स्वीकार कर लिया और इनका हल निकालने के लिए चल दिए राजा बीरबल ने जो तानसेन के संगीत के बारे में बात चल रही थी तानसेन के गुरुद्वारा गाया जाता है इस समय बाहर घूमने गए हुए थे। जब बाहर घूम के अपने गांव वापस आएंगे तब उनके द्वारा वह संगीत सुन पाएंगे राजा अकबर ने एक महीने बाद उस चुनौतियों पर चर्चा की बीरबल से कहा कि आप उन दो चुनौतियों को याद है जो हमने 1 महीने पहले इसके बारे में बात की थी।
बीरबल ने कहा कि हुजूर हमें उन दो चुनौतियों के बारे में भी पता है और उनके हल के बारे में भी राजा बहुत खुश हो जाता है अकबर ने कहा कि पहले तानसेन से अधिक अच्छा संगीतकार के बारे में बताओ तब बीरबल ने तानसेन की गुरु के बारे में चर्चा की उन्होंने कहा कि पास के एक जंगल में तानसेन जी के गुरु रहते हैं जो तानसेन जी से काफी अच्छा संगीत गाते हैं लेकिन उनके संगीत को सुनने के लिए उनके पास जाना होगा वह यहां पर नहीं आ सकते।
तभी राजा ने फैसला किया कि हम उस संगीत को वहीं पर जाकर सुनना पसंद करेंगे राजा बीरबल तानसेन और राजा अकबर तीनों एक साथ उस जंगल में चले जाते हैं जब राजा अकबर ने उस तानसेन के गुरु की कुटिया देखता है तो कहते हैं कि अंदर चलकर उनके संगीत का आनंद लेते हैं।
तभी बीरबल जी बोलते हैं कि हम तानसेन जी के गुरु किसी के कहने और किसी के लिए गाते नहीं है वह अपने आप अपने समय अनुसार गाना गाते हैं हमें उसके लिए प्रतीक्षा करनी होगी राजा बीरबल अकबर और तानसेन की एक पेड़ के नीचे बैठ जाते हैं कुछ देर बाद तानसेन के गुरु कुटिया से बाहर निकल कर अपने स्थान पर बैठकर संगीत गाने लगते है। अकबर को संगीत बहुत पसंद आता है अकबर तानसेन जी के गुरु से बोलते हैं कि आपने बहुत ही अच्छा संगीत गाया है आप यहां नहीं हमारे महल में चले।
ताकि हम समय-समय पर आपका संगीत सुन सके इसके लिए राजा अकबर ने उस गुरु को कुछ स्वर्ण मुद्राएं देने की बात कही तब तानसेन जी की गुरु ने मना कर दिया कि मैं इस प्रकार की कोई धन के लिए नहीं गाता और ना ही मैं किसी महल में रहकर गाना पसंद करता हूं। यह धन किसी जरूरतमंद व्यक्ति को देखकर उनकी आवश्यकता की पूर्ति करें।
इस प्रकार के वचन सुनने के बाद राजा अकबर बहुत खुश हो जाते हैं और बोलते हैं कि जब आपको किसी प्रकार की कोई परेशानी हो तो हमसे जरूर मिले उसके बाद तीनों वहां से निकल जाते हैं रास्ते में राजा अकबर ने बीरबल से पूछते हैं कि इतना अच्छा कैसे गा पाते हैं तभी बीरबल बोलते हैं कि यह केवल ईश्वर के लिए गाते हैं और तानसेन जी हमारे लिए इस प्रकार से उनकी आवाज तानसेन जी की आवाज से काफी अच्छी और सुरीली है।
जादुई कुआं की कहानी का राज: jadui kua kahani
उसके बाद अकबर ने दूसरी चुनौती के बारे में बात की राजा अकबर बोलते हैं कि उस अंगूठी का क्या हुआ जो मैंने उस कुएं में गिर आए थी तब बोलते हैं कि रास्ते में चलते हुए उसका भी पता लगा लेंगे जब तीनों उस कुएं के पास पहुंचते हैं तो वह कुआं पानी से भरा हुआ था तब राजा अकबर बोलते हैं कि इसमें अंगूठी कहां है तब ही राजा बीरबल ने उस तालाब से अंगूठी उठाकर राजा को सौंप दी। राजा खुश हुआ और बोला कि
यह आपने कैसे किया राजा बीरबल बोलते हैं कि जब आपने उस कुएं में अपने अंगूठी डाली थी उसके बाद ही मैंने उस अंगूठे के ऊपर गोबर डाल दिया था कुछ दिनों बाद धूप के कारण गोबर सूख गया और अंगूठी उसमें फिट हो गई कुछ दिनों बाद जब बरसात हुई तो आसपास का पानी कुएं के अंदर आ गया और कुआं पानी भर गया
जिससे गोबर पानी के साथ बाहर आ गया और उस गोबर में हमारी अंगूठी भी उस गोबर के साथ बाहर आ गई। जब मैंने उस गोबर को निकाला तो उसके अंदर अंगूठी थी जिसको हमने आपको दी है इस प्रकार से बिना किसी हथियार और बगेर कुएं के अंदर जाए बगैर इस अंगूठी को बाहर निकाला। अकबर काफी खुश होकर बीरबल को अपने गले लगा लेते हैं।
शिक्षा: इस बात से यह शिक्षा मिलती है कि पर्सन चाहे कैसा भी हो लेकिन उसका हल जरूर मिलता है
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