Murkh Pandit Katha – 3 Murkh Pandit

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तीन मूर्ख पंडित की हिंदी कहानी। Murkh Pandit Story in hindi । 3 Murkh Pandit

murkh pandit story in hindi: प्राचीन समय की बात है जब एक आश्रम में गुरुदेव अपने शिष्य को शिक्षा देने के लिए काफी ज्यादा मान्य थे वह गुरुदेव उन सभी को शिक्षा देकर देश के कल्याण के लिए भेज देते थे। एक दिन शाम के समय अपने 3 शिष्यों को अपने पास बुलाते हैं। और पढ़े 

जब वह तीनों शिष्य अपने गुरु के पास आते हैं और गुरुदेव से बोलते हैं की हे गुरुदेव क्या हम जान सकते हैं कि आज इस समय हमें भुलाने का कारण क्या है क्या आप कोई नया लेशन पढ़ाने के लिए बुलाया है तभी गुरुदेव बोलते हैं कि हे शिष्यों आप सभी की शिक्षा आज संपूर्ण हो चुकी है अब आप का समय आ गया है कि आप अपनी जिंदगी की एक नई पहचान बनाने का और साथ ही आपने जो शिक्षा प्राप्त की है उस शिक्षा को जन कल्याण के लिए लगाना।

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आप कल से ही देश विदेश में अपनी शिक्षा का प्रचार करेंगे आवश्यकतानुसार अपनी शिक्षा का उपयोग करके जनकल्याण में योगदान देंगे। इतना कहने के बाद उन तीनों शिष्यों को सोने के लिए भेज देते हैं। रात के समय उन तीनों के साथ एक उनका दोस्त भी उनके पास बैठ जाता है और बोलता है कि कल से आप तीनो आश्रम से विदाई ले रहे हैं क्या मैं भी आपके साथ चल सकता हूं अब एक ब्राह्मण पंडित शिष्य बोलता है कि आपने अभी तक पूरी की शिक्षा प्राप्त नहीं की इसलिए आप हमारे साथ नहीं आ सकते।

उसके बाद उनका दोस्त बोलता है कि आपने शिक्षा अच्छे से प्राप्त की है आपके साथ रहूंगा तो मैं बहुत ही जल्दी आपसे शिक्षा ग्रहण कर लूंगा उसके बाद तीनों पंडित बोलते हैं कि तुम्हारे पास शिक्षा कम है इसलिए जब हम आपको लेकर जाएंगे तो हमारी हंसी होगी। इसलिए तुम यहीं रहो तब वह दोस्त बोलता है कि आप उनको ऐसे बोलना कि यह हमारा नौकर है अब तो ठीक है अब तो हमें ले चल सकते हो।

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अब तीनों ब्राह्मण उस दोस्त को भी अपने साथ लेकर सुबह जंगल की ओर निकल जाते हैं जंगल में चलने के बाद उन तीनों ब्राह्मण को भूख लगने लगती है तब एक ब्राह्मण बोलता है कि काफी समय हो गया चलते हुए कुछ खाना खा लेना चाहिए पास ही एक पेड़ पर फल लगे हुए थे वह तीनों ब्राह्मण उस पेड़ पर लगे फल तोड़ने के लिए चाहते हैं वह पेड़ ऊंचाई पर होने के कारण वह फल उनके हाथ नहीं लगते तो उनका दोस्त बोलता है

Murkh Pandit Story in hindi

कि मेरे पास एक आईडिया है इससे आप फल खा सकते हो तब एक पंडित बोलता है कि हम से ज्ञानी नहीं हो जिससे आपके पास विचार है उसके बाद उनका दोस्त उस पेड़ पर चढ़कर व फल तोड़कर उन लोगों खिलाता है तब वह बोलता है कि मैं आपसे किताबी ज्ञान में कम हूं लेकिन किस समय किस ज्ञान का प्रयोग करना है उसका काफी अच्छे से ज्ञात है उसके बाद तीनों आगे चलते हैं।

 3 मूर्ख पंडितो की शिक्षा का उपयोग | Murkh Pandit Story in hindi । 3 Murkh Pandit

जंगल में काफी समय चलने के बाद उन्हें एक हड्डियों का कंकाल देखने को मिलता है जिसे चारों उस हड्डियों के कंकाल को देखकर चर्चा करने लगते हैं कि यह हड्डियों का कंकाल किसका है यह हड्डियां अलग-अलग हुई है एक ब्राह्मण बोलता है कि यह शेर का कंकाल है दूसरा बोलता है कि नहीं यह किसी अन्य जानवर का है ।

इसको साबित करने के लिए वह अपनी शिक्षा का उपयोग करते हैं जो उनके गुरु द्वारा दी गई थी उसके बाद एक पंडित बोलता है कि ऐसे इसका पता नहीं लगेगा इसका पता हम अपनी शिक्षा के माध्यम से ही लगा सकते हैं और मैं वह शिक्षा जानता हूं जिससे इन सभी हड्डियों को एकत्रित करके कंकाल में बदल सकता हूं एक पंडित बिखरी हुई हड़ियों को अपनी शिक्षा से एक कंकाल तैयार कर देता है जो पहले उस जानवर का थी।

उसके बाद दूसरा पंडित बोलता है कि मेरे पास गुरुदेव के द्वारा दी गई है ऐसी शिक्षा है जिससे मैं उस शिक्षा का उपयोग करके इससे यह पता लगा सकता हूं कि यह कंकाल किसका है उसने अपने गुरुदेव की शिक्षा का उपयोग करके उस कंकाल पर मांस और खाल लगा देता है जिससे पता चलता है कि यह कंकाल एक शेर का है।

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उसके बाद वह उनका दोस्त बोलता है कि हम सभी यहां अपनी शिक्षा को खराब कर रहे हैं हमें अपनी शिक्षा को जनकल्याण के लिए लगाना है जो कि हमारे गुरुदेव ने बताया था तब एक पंडित बोलता है कि हां यह बात सही है हम आगे बढ़ते हैं तब एक पंडित बोलता है वह बोलता है कि आपने अपनी शिक्षा का उपयोग किया है मेरे पास एक ऐसी शिक्षा है जो आप सभी के पास नहीं है यह शिक्षा केवल गुरुदेव मुझे ही दी है वह बोलता है कि मैं शेर को वापस जीवनदान दे सकता हूं।

तब दूसरा पंडित बोलता है कि यह प्रकृति के विरुद्ध है हम इस प्रकार अपने शिक्षा नहीं खर्च कर सकते हैं इसके बाद उनका दोस्त बोलता है कि मैं आपका साथ इसमें नहीं दे सकता यदि आप इसे जीवित करना चाहते हैं तो मैं यहां से कुछ दूरी पर चले जाता हूं वो तीनों पंडित बोलते हैं कि तुम डरपोक हो तुम हमारे साथ नहीं चलोगे। उसके बाद तीसरे पंडित ने अपनी शिक्षा का ज्ञान उपयोग करके उस शेर को जीवनदान दे देता है।

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उनका दोस्त पीछे पेड़ के ऊपर चला जाता है जब शेर वापस जीवित होता है और उन तीनों पंडित को देखता है तो शेर उन तीनों पंडित को अपना भोजन बना लेता है और वह तीनों पंडित उस शेर का भोजन बन जाते हैं जिस वजह से उन तीनों मूर्ख पंडितों की मृत्यु हो जाती है और उनका दोस्त का जीवन बच जाता है

शिक्षा : मनुष्य के पास किताबिय ज्ञान के साथ-साथ वास्तविक का ज्ञान का भी होना बहुत आवश्यक है।

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