दो बैलों कि कहानी ( मुंशी प्रेमचंद ) | Premchand Ki Kahani
Premchand Ki Kahani: एक समय की बात है एक गांव में एक किसान रहता था उसका नाम रामू था उसके पास दो बैल थे सोनू और मोनू रामू अपने बैलों से बहुत प्यार करता था और उनके दिल भी रामू को बहुत पसंद करते थे रामू को परिवार में रामू और उसकी पत्नी थी। रामू अपनी बहनों को अच्छा अच्छा खाना खिलाता और उन्हें हमेशा खुश रखता। एक समय के बाद रामू की पत्नी अपने भाई थे बैल जाने के लिए कहा ।
इसका नाम श्याम था वह उन दोनों बैलों को सोनू और मोनू को अपने साथ ले जाता है सोनू और मोनू रास्ते में सोचने लगते हैं कि आखिर यह इंसान हमें कहां पर लेकर जा रहा है और क्यों श्याम को अपने घर पहुंचने में काफी समय लगने के कारण वह रास्ते में रात को आराम करने लगा और सोनू मोनू को घास डालकर आराम करने लगा।
तब सोनू और मोनू ने वहां से भागने की प्लानिंग की सोनू मोनू अपने रस्सी को तोड़कर वहां से अपने मालिक के पास रामू के पास आ जाते हैं जब रामू अपने बालों को देखता है तो उसने गले लगा लेता है लेकिन उसकी पत्नी देखती है तो उसे काफी गुस्सा आता है।
कुछ समय बाद सोनू मोनू के पीछे से श्याम आ जाता है रामू की पत्नी ने सोनू मोनू को वापस शाम के साथ भेज देती है उसके बाद सोनू और मोनू बिना सोचे समझे उसके साथ डंडे के जोर से चले जाते हैं।
श्याम बहुत ही परेशान था क्योंकि वह रात मैं होने वाली परेशानी से काफी गुस्सा था इसलिए सोनू और मोनू को सूखा भूसा चलाने लगा और उन्हें खेत में जोड़ने के लिए चला गया लेकिन सोनू मोनू ने भी कसम खाई थी कि हम एक पैर भी नहीं उठाएंगे।
श्याम उन दोनों बैलों को काफी मारने के बाद भी अपना काम करने के लिए तैयार नहीं थे उसके बाद शाम उन्हें वापस घर लाकर एक रस्सी से बांधकर सूखा भूसा पटक कर चले जाता है सोनू मोनू उस भूसे को नहीं खाते हैं और भूखे रहते हैं कुछ समय बाद वहां पर एक लड़की आती है उन दोनों को एक रोटी खिलाती है और चली जाती है जब वह दोनों बैल सोचते हैं कि यह वह लड़की है।
जिसकी मां अब इस दुनिया में नहीं रहे यह अपनी सौतेली मां के साथ रहती है जो उसे काफी मारती है एक दिन सोनू मोनू ने भागने की योजना बनाई और रात को अपने मुंह से रस्सी काट रहे थे तब ही उन्हें उस लड़की ने उन दोनों को देख लेती है और वह इन दोनों को आजाद कर देती है।
उसके बाद वह डर के भय भागने लगते हैं लेकिन भय के कारण वह अपना रास्ता भूल जाते हैं और गलत रास्ते की तरफ चले जाते हैं उन्हें काफी भूख लग रही होती है लेकिन रास्ते में उन्हें एक गेहूं का खेत दिखाई देता है जहां पर जाकर उन्होंने भरपेट के अपना भोजन करते हैं।
लेकिन कुछ समय बाद उन्हें खेत के मालिकों द्वारा किया जाता है और मोनू को घेरे में ले लिया जाता है लेकिन सोनू उनके कैद से बाहर था वह अपने दोस्त को छोड़कर नहीं जाना चाहता था वह भी अपने दोस्त के साथ मिल गया और किसानों के द्वारा उन दोनों को पकड़ लिया गया उन दोनों को मवेशियों के साथ बंद कर दिया जहां पर सभी मवेशी बहुत ही ज्यादा परेशान और भूख से तरस रहे थे।
और उन दोनों को एक रस्सी से बांध देते हैं सोनू और मोनू उन भविष्य की दशा देखकर काफी ज्यादा परेशान रहते हैं और सोचने लगते हैं कि अभी हम कुछ दिन तक यहां रहते हैं तो हमारी हाल इनकी तरह ही बन जाएगी और शायद हम जी नहीं पाएंगे इसलिए वह भागने की योजना बना रही थी।
मवेशीयो से गिरी हुई दीवार एक मिट्टी की थी जिससे मोनू द्वारा तोड़ना शुरू किया लेकिन वह काफी मजबूत होने के कारण अपनी सफलता में नाकामयाब होने लगा तब ही वह उन भविष्य को देखकर अपनी जोश को बढ़ाया और उस मिट्टी की दीवार में छेद कर दिया।
तब मवेशियों की रेखाओं के लिए एक चौकीदार वहां पर आया और उसको देख लेता है वह मोनू को एक मोटी रस्सी से बांधकर चले जाता है तब मोनू ने अपने दोस्त सोनू को सभी बात बता कर बोलने लगा।
कि यदि हम इन सभी जानवर को बचाते हैं तो यह हमारे लिए काफी अच्छी बात है उसके बाद सोनू ने अपनी पूरी ताकत से उस दीवार को तोड़ने लगा काफी समय बीत जाने के बाद आखिर वह दीवार टूट कर नीचे गिर गए और सभी मवेशियों को आजादी दिलाए।
लेकिन लाख कोशिशों के बावजूद भी रामू रामू को बांधी गई रस्सी नहीं टूट पा रही थी जिस वजह से सोनू काफी ज्यादा परेशान होने लगा उन्होंने लगा कि तुम मेरी चिंता मत करो तुम अपनी जान बचा कर बाबू तब सोनू कहने लगा कि मैं तुम्हारा सच्चा दोस्त है हम दोनों ने सुख-दुख सभी सेंड किया है साथ में रहना सीखा है मैं तुम्हें इस हालत में छोड़कर नहीं जा सकता।
उसके बाद सोनू भी वहीं पर रह जाता है कुछ नहीं बात सवेरा हो जाता है जब उन मूवी शो को बंदी बनाने वाले लोगों पर आते हैं और उनको देखते हैं वह समझ जाते हैं किन के द्वारा बनाए गए प्लानिंग के अनुसार सभी मवेशियों से भाग गए हैं और उन दोनों को काफी ज्यादा पिटाई करने लग जाते हैं काफी दिन उन्हें खाना पानी नहीं देते हैं सिर्फ पानी पिलाते रहे।
इससे उनके शरीर पर हड्डियां निकल आती है एक दिन वह मवेशियों को नीलामी के लिए ले जाते हैं नीलामी में उन दोनों को कोई भी खरीद नहीं चाहता क्योंकि वह इस व्यवस्था में थे कि उन्हें चलना भी बहुत कठिन हो रहा था तब एक आदमी आता है और इन दोनों को खरीद लेता है और वह अपने साथ ले जाते हैं वह इंसान अपने लाठी के जोर पर उन्हें ले जाता रहता है।
लेकिन आगे जाने पर सोनू और मोनू को पता चलता है कि यह वही रास्ता है हम जहां पर आए थे वह धीरे-धीरे अपने पैर बढ़ाने लगते हैं कुछ समय आगे जाने के बाद उन्हें एक हुआ दिखाई देता है उन्हें पता चलता है कि हम यहां पर काम करने के लिए आते थे जैसे ही वह इंसान सोनू और मोनू के घर से होकर निकलते हैं तो है सोनू और मोनू अपने घर के अंदर घुस जाते हैं और सामने रामू बैठा हुआ था।
रामू ने जब उन दोनों को देखता है तो उनके आंखों में आंसू आ जाते हैं और साथ ही उन दोनों की आंखों में आंसू आ जाते हुए भाग कर अपने सोनू और मोनू को गले लगा लेता है और काफी खुश हो जाता है तब रामू की पत्नी घर से बाहर आती है और देखती हैं तो उन दोनों को तुमने लगती है और गले लगाती है।
तब पीछे से इंसान भागकर आता है और बोलता है कि मेरे बेल है लेकिन रामू ने कहा कि यह मेरे बेल है तब वह इंसान बोलता है कि मैं इन दोनों को नीलामी में से खरीदा हूं यह बेल मेरे हैं तब रामू बोलता है कि जब मैंने किसी को यह बेल बेचे ही नहीं तो कैसे खरीद सकते हैं।
तब वह इंसान बोलता है कि मैं Police जाकर आपके साथ कार्रवाई करूंगा और जैसे ही इंसान उन दोनों को खींचता है तो वह सोनू और मोनू उस इंसान को धकेल देते हैं और उसके पीछे भक्त हैं वह अपनी जान बचाकर गांव से बाहर निकल जाता है उसके बाद रामू अपने सच्चे दोस्त सोनू और मोनू को अच्छी-अच्छी खाना खिलाना शुरू करते हैं ताकि वह फिर से अपनी हालात में आ सके और कुछ दिनों बाद वह फिर से एक साथ रहने लगे।
शिक्षा: मुंशी Premchand ki kahani के माध्यम कहना चाहते हैं इंसान स्वाधीनता के लिए अंतिम समय तक संघर्ष करना चाहिए और दूसरी खींचतान से यह मिलती है कि हमारे जीवन में उपयोगी मुश्किल के नाम लेकिन अपनी दोस्ती जब वह अपने दोस्त को मुश्किल में छोड़कर ना जाएगा।
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