300 सोने के सिक्के | Sone Ke Sikke Ki Kahani | Sone Ke Sikke Wali Kahani
इस कहानी में राजा अकबर के सेल की बीरबल के पद के लिए परीक्षा होती है 300 सोने के मुद्रा के साथ जानते है इस Sone Ke Sikke Ki Kahan के बारे में काफी ज्यादा इंटरेस्टिंग है बार बार पढने को मन करता है जानते है बीरबल की कहानी के बारे में
एक समय की बात है जब अकबर का राज दरबार लगा हुआ था उस दिन राजा बीरबल उस दरबार में नहीं थे बीरबल काफी बुद्धिमान थे उसके पास सभी प्रश्नों का जवाब मिलता था जिस दिन बीरबल राज दरबार में नहीं आया उस दिन राजा अकबर का साला बीरबल की बुद्धिमानी पर बहुत जलता था वह बीरबल का पद लेना चाहता था वह राजा से बोलने लगा कि महाराज मुझे एक मौका दीजिए जिससे मैं बीरबल से ज्यादा अच्छा काम करके दिखा सकूं।
राजा अकबर बीरबल के प्रति जैसे ही कोई फैसला लेता है उससे पहले यह बात बीरबल तक पहुंच जाती है बीरबल राज दरबार में आकर अपना इस्तीफा देकर वापस चला जाता है। उसके बाद राजा अकबर अपने साले को राजा बीरबल के पद के लिए चुने उससे पहले एक परीक्षा लेना चाहा अकबर ने अपने साले को 300 सोने की मुद्राएं दी और बोला कि यह तीन सौ मुद्रा ऐसी जगह खर्च करो जो 100 सोने की मुद्रा मुझे अगले जन्म में मिले और 100 सोना की मुद्रा इस जन्म में मिले और 100 सोना की मुद्रा ना उस जन्म में मिले इस जन्म में।
उसके बाद अकबर का साला इस बात से बहुत ही परेशान दिख रहा था उसका जवाब राजा के साले के पास नहीं था वह अपने महल में चला जाता है कई रातों तक उसे नींद नहीं आती है परेशान रहने लगता है बहुत चिड़चिड़ापन हो जाता है उसके बाद राजा अकबर के साले की पत्नी परेशान होते हुए अपनी पत्नी को बोलती है कि आपको ज्यादा परेशान होने की आवश्यकता नहीं है आप जितना जल्दी हो सके उतना जल्दी बीरबल से सहायता लें।
उसके बाद राजा का साला बीरबल के पास चला जाता है और बीरबल से बोलता है कि आप इस समस्या का समाधान करो यह मेरे को काफी ज्यादा परेशान कर रही है जब राजा अकबर के साले ने वह बात राजा बीरबल को बताया तो राजा बीरबल उस 300 मुद्राएं लेकर गांव में निकल जाता है गांव के चारों तरफ घूमने के बाद उसे एक व्यापारी के बेटे की शादी हो रही होती है तब राजा बीरबल उस व्यापारी को 100 स्वर्ण मुद्राएं देकर बोलता है कि यह स्वर्ण मुद्राएं राजा ने हेल्प के लिए दी है जब आप हो सके उसे फ्यूचर में लौटा देना।
सोने के सिक्के: Sone Ke Sikke Ki Kahani
उसके बाद उस व्यापारी को बीरबल सो स्वर्ण मुद्राएं देकर चला जाता है जब रास्ते में जाते हुए देखता है तो एक गांव में बहुत ही गरीब परिवार रहते थे बीरबल 100 स्वर्ण मुद्राएं मुद्राओं के कपड़े और भोजन खरीद कर उन गरीबों में राजा अकबर के नाम से बांट देता है जिससे गरीब खुश होते हैं और दुआ देते हैं। उसके बाद सो स्वर्ण मुद्राएं रास्ते में गाने बजाने वाले देखने को मिलते हैं उनको 100 स्वर्ण मुद्राएं बांट देते हैं और अपने घर वापस आ जाते हैं।
जब दूसरे दिन राजा अकबर अपनी सभा में राजा की साले को बुलाता है तो उसके साथ बीरबल जवाब देता है कि महाराज मैंने आपकी बात के अनुसार सभी स्वर्ण मुद्राओं को अपने स्थान पर लगा दिया है राजा ने बोला कि तुमने ऐसा क्या किया जो 300 मुद्रा अपने स्थान पर लग गई। तब बीरबल बोलता है कि महाराज मैंने एक व्यापार की बेटे की शादी में उस व्यापारी को स्वर्ण मुद्राएं दी है जो आपको इस जन्म में मिल जाएगी।
उसके बाद मैंने 100 स्वर्ण मुद्राएं गरीब परिवार के लोगों को कंबल और भोजन के लिए खर्च किया है जो उसका फल आपको अगले जन्म में मिलेगा और 100 स्वर्ण मुद्राएं मैंने रास्ते में नाच गाने वाली नृत्य करने वाले पर खर्च कर दिया जो आप को ना तो इस जन्म में मिलने वाले हैं और ना ही आने वाले जन्म में।
इस प्रकार से आपके कहे अनुसार मैंने आपके 300 स्वर्ण मुद्राएं अपने स्थान पर लगा दी है राजा बहुत खुश होता है और बीरबल को गले लगा लेता है इस प्रकार से बीरबल अपना पद बचा लेता है और अकबर का साला अपनी शर्मिंदगी महसूस करता है।
शिक्षा: अपने आप पर घमंड नहीं करना चाहिए।
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